मंगलवार, 26 नवंबर 2013

दीने-हिझाझी का बेबाक बेडा



पटना में मोदी ने अपने भाषण के दौरान अल्ताफ हुसैन हाली की एक नज़म की कुछ पंक्तियां सुनाई थी. किसी ने मोदी को लिखकर दी होगी, जो उन्हों ने चहेरे का पसीना पोंछते पोंछते कही थी, हालांकि उसमें दीने-हिझाझी की जगह उन्हो ने दीने-इलाही कहा था. मगर हम उस पर ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे. नज़म इस प्रकार थी:

"वो दीने-हिझाझी का बेबाक बेड़ा
निशां जिसका अक्सा-ए-आलम में पहुंचा
मुझाहिम हुआ कोई खतरा न जिसका
न उम्म में फटका, कुलझुम में जिझका
किये बे-सपर जिसने सातों समंदर
वो डूबा दहाने में गंगा के आकर."

मतबल, अरबस्तान के धर्म का वो नीडर जहाज, जिसका झंडा दुनिया में दुर दुर तक पहुंचा, जिसको रोकनेवाला कोई खतरा पैदा नहीं हुआ. न किसी देश में वो जुदा हुवा, न गहरे समंदर में डुबा, बिना मदद के जिसने सातो समंदर पार किये, वो गंगा नदी के मुख में आकर डुबा.

हाली ने 1857 में सर सैयद के कहने पर यह रचना की थी. अंगरेजी हकुमत में कौम के हालात देखकर सर सैयद ने हाली को कुछ ऐसी नज़म रचने को कहा था, जिसे सुनकर सोई कौम जाग उठे. तब हाली ने मुस्सदसे हाली की रचना की थी. हाली अपनी नज़म में आगे बताते है कि वह बेबाक बेडा गंगा के दहाने में आकर क्यों डुब गया. मोदी जैसे फंडामेन्टालिस्ट लोग जब ऐसी नज़म सुनाते है, तब जानबूझकर उसे तोड मरोडकर रखते है. अब मोदी से हम क्या उम्मीद रखेंगे?

हाली आगे फरमाते है,

"अगर कान धर कर सूनें एहले-इबरत
ता सीलोन से ता-ब-कश्मीर-ओ-तिब्बत
झमीं, रूख, बन, फल, फूल, रेत, परबत
ये फरियाद कर रहे हैं ब-हसरत,
कि कल फख्र था जिनसे एहले-जहां को,
लगा उनसे ऐब आज हिन्दुस्तां को.

यहां हाली स्व-आलोचना करते हुए मुसलमानों को अपनी खामियां छोडकर वापस हिन्दुस्तां का नगीना बनने का मशवरा देते हैं. हाली सच्चे देशभक्त थे, उन्हे सपनें में भी मालुम नहीं होगा कि मुलसमान-विरोधी कोई नेता स्वतंत्र भारत में हिन्दुओं को उक्साने के लिए इस नज़म का ऐसा उपयोग करेगा.   

10 टिप्‍पणियां:

  1. बेकार की बात। सर सैयद खान अंग्रेजों के समर्थक थे। ये बात भारत एक खोज में भी दिखाई गई थी।

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  2. प्रधानमंत्री जी को सुधारने के बाद आपने खुद ही गलती कर दी कुलझुम के पहले न नही लगाया आपने, आपको जिसने लिख कर दिया उसको फटकार लगाइए।

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  3. मियां भाई जी भाई आप हम आपका चारा हैं। यही आपका भाईचारा है। शब्दों के चयन कौम जैसा, मतलब कि कटी कलम हो आप, फर्जी हिन्दू नाम से ब्लाग न चलाओ। यदि हो सोलंकी जो कि न के बराबर है, तब पारिवारिक खतने के पीड़ित लग रहे हो।
    बुतपरस्त हम सनातनी तो किताल-फिसबिलिल्लाह हैं तुम सब रेगिस्तानी कल्ट वालों के लिए, मतलब वाजिबुल कत्ल। कि देखते ही मूर्ति पूजा करने वालों को मार डालो, ये आदेश है आसमानी किताब का। फिर हाली भी तो पाँच वक्त का नमाजी ही था।

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  4. सर सैयद अहमद अपनी कौम यानी मुसलमानों को किस निद्रा से जगाना चाहते थे ?
    जागे हुए मुसलमानों से सर सैयद अहमद खान की क्या अपेक्षाएं थीं ?
    अब आप कौम को भारत मत बताने लगना ।
    तीसरा प्रश्न यह है कि मोदी अगर हिन्दू समाज को जगाए तो फ़ण्डामेंटलिस्ट और सर सैयद अहमद खान तथा हाली वही काम करे तो देशभक्ति ।
    ऐसा शानदार ज्ञान कहाँ से लाते हो मियाँ ? 😊

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    1. परसाई शैली का उत्कृष्ट व्यंगपरसाई शैली का उत्कृष्ट व्यंग

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  5. मोदी ने क्या कहा उस पर बहुत ज्ञान दे रहे हो खुद हिजाजी को हिझाझी लिख मारे

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  6. Rajesh Solanki Ji ko apna name change kar ke Rajesh Kalanki kar lena chahiye, jo Sir Sayad jaise Islamist ko deshbhakt btlakar desh ko sickular bna rahe hain.

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